चांद पर प्लाट ले लो का लोकार्पण

03 फरवरी 2010 को प्रगति मैदन पुस्तक मेले में हाल नं. 12ए, स्टाल सं.153-154 साहित्य भंडार,इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित पुस्तक चांद पर प्लाट ले लो लेखक शमशेर अहमद खान का लोकार्पणा श्रीमती कुसुम वीर के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ.वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं और सुप्रसिद्ध कवियत्री हैं.
लोकार्पण के उपरांत अपने उद्बोधन भाषण में उन्होंने व्यक्त किया कि शमशेर अहमद खान अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हिंदी और उर्दू दोनों ज़बानों के वरिष्ठ बाल साहित्यकार हैं.इसके साथ ही वे एक खोजी पत्रकार भी हैं. उनकी अशारे क़दीमा यानी पुरातत्व में काफी रुचि है. जिन दिनों उन्मादी तालिबानी बामियान में पुरातात्विक महत्व की बुद्ध की मूर्तियों को विध्वंस कर रहे थे उन्हीं दिनों श्री खान ने अपने चार अन्य वरिष्ठ सहयोगियों के साथ कपिलवस्तु,लुंबिनि, धम्म संघ,कस्या से राजघाट की शांतिमय पुरातात्विक यात्राएं की थीं.

उनकी यह अविरल यात्रा केवल यहीं नहीं रुकी बल्कि उन्होंने उस समय भी उस परम्परा को तोड़ दिया जिसपर केवल अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व होता था.आप्रेशन विजय के दौरान उन्होंने एक महीने के भीतर कारगिल के शहीद नामक पुस्तक भी लिख ली जो हिंदी भाषा के लिए गौरव की बात थी.उन्होंनेपर्यावरण संरक्षण के लिए भी अनेक कार्य किए .इस क्षेत्र में उनका अवदान केवल पुस्तक लेखन ही तक सीमित नहीं रहा बल्कि एक सक्रीय कार्यकर्ता के रूप में अपना योगदान देते रहे हैं और आज एक पूरी पीढी उनके पर्यावरणीय अवदानों पर गर्व करती है.

इसी क्रम में उनका नया सृजन चांद पर प्लाट ले लो आया है जो हिंदी साहित्य जगत में बिल्कुल नया और अनोखा प्रयोग है.हिंदी साहित्य के इतिहास में यह पहली चित्रात्मक पुस्तक हैजो रंगीन है. चित्र अपनी कहानी स्वयं कहते हैं. इस पुस्तक पर बिहारी का यह दोहा सटीक बैठता है…देखन में छोटन लगें घाव करें गंभीर या यूं भी कह सकते हैं..उन्होंने गागर में सागर भरा है. कक्षा 2 के बच्चोम से लेकर प्रौढों तक हिंदी भाषा को सीखने और जीव-जंतुओं के साथ संवाद करने या संस्कारित करने का करने का एक टूल है. मुझे खुशी है कि श्री खान की पुस्तक का लोकार्पण मेरे द्वारा हो रहा है.मैं यह भी बता दूं कि श्री खान मेरे साथ काम कर चुके हैं. सरकार में पदानुक्रम होता है लेकिन उन्होंने हिंदी के विकास में अनेक ऐसे कार्य किए जो वरिष्ठ से वरिष्ठ अधिकारी नहीं कर पाते. आज भी उनका उत्साह, उनकी जिन्दादिली लोगों के प्रति सेवा भाव और स्फूर्ति न केवल मुझे बल्कि समाज के लिए भी प्रेणादायी है.

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार अमरनाथ अमर, सुशील सिद्धार्थ, मुकेश नादान, डॉ. राजेंद्र सिंह कुशवाहा, अरूण कुमार, अनिल कुमार, वेब पत्रिका hindyugm.com के संपादक शैलेश भारतवासी,चंद्र्भूषण सहित अनेक मीडिया कर्मी, पत्रकार, विशिष्टजन, प्रकाशक बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

मुनीश परवेज़ राणा
बी-1/44, डी.एल.एफ. दिलशाद एक्टेंशन-2
साहिबाबाद,गाजियाबाद—

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