बटन की कहानी दीदी की पाती

बबलू कल अपनी दिदिया से फ़िर डांट खा रहा था क्यूंकि उसकी कमीज के बटन फ़िर से टूटे हुए थे और उसकी दीदी को फ़िर से उन्हें रोज़ रोज़ कमीज पर टांकना अच्छा नही लगता था . दीदी ने बबलू से कहा आओ मैं तुम्हे ही बटन लगाना सीखा देती हूँ ताकि रोज़ तुम मुझे परेशान मत करो …
अच्छा दिदिया वह मैं सीख लूँगा पर पहले मुझे यह बताओ कि यह बटन बने कैसे ? .
.उसकी दीदी ने उसको बताया कि बटन आज से तीन हजार साल पहले बनने शुरू हुए थे ..पहले इन बटनों को सिर्फ़ अमीर लोग ही अपने कपडों पर लगाते थे महारानी एलिजाबेथ प्रथम को तो बटनों का इतना शौक था की वह सोने के गहने गलवा कर अपने लिए सोने के बटन बनवाया करती थी स्काटलैंड की रानी मेरी के पास ऐसे ४०० बटन थे जिन पर हीरे जवाहरात जड़े हुए थे हर बटन के बीच में एक लाल था
ड्यूक आफ बकिघ्म के बटन हीरों के होते थे और सम्राट लुई चोद्हवें ने छः बटन के सेट की कीमत २२ हजार पाउंड चुकाई थी

अमरीका में बटन इकट्ठे करने का शौक तीसरा समझा जाता है महिलाओं में यह बहुत लोकप्रिय है विक्टोरिया युग में लड़कियों की एक आम सोच थी कि यदि वह १ हजार बटन जमा कर के रख लेगी तो उसको उसका मनपसन्द जीवन साथी जरुर मिलेगा इसलिए उनके दोस्त और रिश्तेदार अपने उपयोग किए हुए बटन लड़कियों को दे दिया करते थे ताकि जल्दी से उनके पास एक हजार बटन हो जाए
कुछ समय पहले एक फ्रांसीसी सामंत के मरने पर उसके बटन नीलाम किए गए जिनका मूल्य ६,६७३ पौंड था एक अमरीकी फर्म ने इन्हे दुगने मूल्य पर खरीद लिया था

दुसरे महायुद्ध में ऐसे बटनों का आविष्कार किया गया था जो ब्लैक आउट होने पर चमकते थे पर न जाने क्यूँ वह बहुत लोगो को पसंद नही आए

हड्डी से ले कर लकड़ी तक अनेक चीजों के बटन बनाए जाते हैं इन दोनों ज्यादा प्लास्टिक के बटन बनते हैं ..सो देखा यह थी बटन की कहानी और तुम रोज़ जो बटन तोड़ कर आ जाते हो बबलू जानते हो एक बटन विशेषग्य का कहना है कि एक ओसत आदमी अपने जीवन काल में एक गुर्स बटन तोड़ता है ..पर अब तुम तोडेगे तो तुम्ही इसको लगाओगे समझे कह कर दिदिया ने बबलू को प्यार से एक चपत लगाई

वाह दिदिया यह तो बहुत अच्छी बातें बतायी तुमने ..बटन के बारे में
चलो अब मैं खेल कर आता हूँ ..अपना टूटा बटन मैं ख़ुद हो जोड़ लूँगा

जाओ खेलो ..कह कर दीदी मुस्करा दी

तो आप सबको कैसी लगी यह जानकारी बताये जरुर मुझे

आपकी दीदी

रंजू

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